
This is latest Solved Assignment of MTT 45 of DPE .
If you Need this Assignment, Simply WhatsApp us
| Title Name | IGNOU MTT 45 Solved Assignment 2025 |
|---|---|
| Type | Soft Copy (E-Assignment) .pdf |
| University | IGNOU |
| Degree | PG DIPLOMA PROGRAMMES |
| Course Code | DPE |
| Course Name | Diploma in Primary Education |
| Subject Code | MTT 45 |
| Subject Name | शीर्षक: हिंदी सिंधी के विविध क्षेत्रों में अनुवाद |
| Year | 2025 |
| Session | |
| Language | English Medium |
| Assignment Code | MTT-045/Assignmentt-1//2025 |
| Product Description | Assignment of DPE (Diploma in Primary Education) 2025. Latest MTT 045 2025 Solved Assignment Solutions |
| Last Date of IGNOU Assignment Submission | Last Date of Submission of IGNOU MTT-045 (DPE) 2025 Assignment is for January 2025 Session: 30th September, 2025 (for December 2025 Term End Exam).Semester WiseJanuary 2025 Session: 30th March, 2025 (for June 2025 Term End Exam).July 2025 Session: 30th September, 2025 (for December 2025 Term End Exam). |
Ques 1.
निम्नलिखित वाक्यों का सिंधी में अनुवाद कीजिए :
1 हम सब आयोध्या जाने का कार्यक्रम बना रहे हैं।
2 श्याम परीक्षा के लिए बड़ी मेहनत से पढाई कर रहा है।
3 श्रीमती ज्योति नंदवाणी अध्यापिका हैं।
4 क्या मेरे लिए कार्यालय से कोई पत्र आया है?
5 आज मौसम बहुत सुहावना है।
6 मैंने शाह लतीफ का संपूर्ण काव्य पढ़ लिया है।
7 सामी के श्लोक वेदांत मत पर आधारित हैं।
8 कोरोना का प्रकोप लगभग समाप्त हो गया है।
9 भारतीय भाषा संस्थान मैसूर में है।
10 क्या आप तमिल संगम साहित्य से परिचित हैं?
Ques 2.
निम्नलिखित शब्दों का सिंधी और हिंदी अर्थ लिखिए :
सिंधी अर्थ हिंदी अर्थ
1 कारोबार _____________ _______________
2 हिभथ _____________ _________________
3 शनैतो ______________ __________________
4 शूकर _______________ _________________
5 अमरू ______________ ________________
6 असिरो _____________ ________________
7 अकुल _____________ _________________
8 जाहिल _____________ _________________
9 कीमती ______________ ________________
10 हलीमाई ______________ _________________
11 निविड़त ______________ _________________
12 छमाही ______________ _________________
13 कुशादो ______________ _________________
14 काठु ______________ __________________
15 कशालो ______________ _________________
16 खधूरी ______________ ________________
17 डाडाणा ______________ ________________
18 मानवारो _______________ _______________
19 ज़ईफ ___________ ________________
20 ज़ाइफां _______________ _______________
Ques 3.
कुछ शब्द ऐसे हैं जिनके सिंधी और हिंदी में समान पर्याय प्रचलित हैं। उदाहरण के लिए,
उर्दू मूलक शब्द सिंधी हिंदी
मेहमान मिज़मान अतिथि
नीचे कुछ इसी प्रकार के शब्द दिए गए हैं। उनके सिंधी और हिंदी पर्याय लिखिए :
सिंधी अर्थ हिंदी अर्थ
1 फर्दु _____________ ________________
2 शख्सियत _______________ ________________
3 आलिमी ______________ _______________
4 जुनून _________________ ________________
5 जनाब ______________ ________________
6 नवाब _______________ _______________
7 शहंशाह ________________ _________________
8 हिफाज़त ________________ ________________
9 हक्मत _______________ ________________
10 झूनो _____________ __________________
11 पीरी ________________ _________________
12 हर्गिज़ ________________ __________________
13 काबिले तारीफ ______________ __________________
14 दादू _________________ _______________
15 फरियाद _________________ _________________
16 कुदरत ________________ __________________
17 फरिश्तो _________________ ___________________
18 अदब _________________ _________________
19 खैरियत _________________ __________________
20 खुदाई _________________ ________________
Ques 4.
निम्नलिखित अनुच्छेदों का सिंधी में अनुवाद कीजिए :
(क) विदेश जाकर चित्रा तन-मन से अपने काम में जुट गई, उसकी लगन ने उसकी कला को निखार दिया। विदेशों में उसके चित्रों की धूम मच गई। भिखमंगी और दो अनाथ बच्चों के उस चित्र की प्रशंसा में तो अखबारों के कॉलम भर गए। शोहरत के ऊँचे कगार पर बैठ, चित्रा जैसे अपना पिछला सब कुछ भूल गई। पहले वर्ष तो अरुणा से पत्र-व्यवहार बड़े नियमित रूप से चला, फिर कम होते-होते एकदम बंद हो गया। पिछले एक साल से तो उसे यह भी नहीं मालूम कि वह कहाँ है। नई कल्पनाएँ और नए-नए विचार उसे नवीन सृजन की प्रेरणा देते और वह उन्हीं में खोई रहती। उसके चित्रों की प्रदर्शनियों होतीं। अनेक प्रतियोगिताओं में उसका 'अनाथ' शीर्षक वाला चित्र प्रथम परस्कार प्राप्त कर चुका था। जाने क्या था उस चित्र में, जो देखता, वही चकित रह जाता। दुख-दारिद्रय और करुणा जैसे उसमें साकार हो उठे थे। तीन साल बाद जब वह भारत लौटी तो बड़ा
स्वागत हुआ उसका। अखबारों में उसकी कला पर, उसके जीवन पर अनेक लेख छपे। पिता अपनी इकलौती बिटिया की इस कामयाबी पर गदगद थे समझ नहीं पा रहे थे कि उसे कहीं-कहीं उठाएँ, बिठाएँ। दिल्ली में उसके चित्रों की प्रदर्शनी का विराट आयोजन किया गया। उद्घाटन करने के लिए उसे ही बुलाया गया था। उस प्रदर्शनी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी, भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही थी और चित्रा को लग रहा था, जैसे उसके सपने साकार हो गए। उस भीड़-भाड़ में अचानक उसकी भेंट अरुणा से हो गई । 'सनी' । कहकर वह भीड़ की उपस्थिति को मूलकर अरुणा के गले से लिपट गई - तुझे कब से चित्र देखने का शौक हो गया, रूनी! इसका उत्तर देते हुए उसने कहा, 'चित्रों को नहीं, चित्रा को देखने आई थी। तू तो एकदम मूल ही गई।
(ख) इस बीच, राष्ट्रपति के आदेश से 1961 में 'वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग की स्थापना हुई। आयोग ने अब तक तैयार की गई समस्त शब्दावली के पुनर्निरीक्षण तथा विविध विषयों में स्नातकोत्तर स्तर की शब्दावली के निर्माण का काम अपने हाथ में ले लिया। आयोग ने सर्वप्रथम शब्दावली-निर्माण के मार्गदर्शक सिद्धांत तय किए और उस समय तक तैयार की गई शब्दावली का पुनरीक्षण करने के लिए विविध विषयों की विशेषज्ञ समितियों गठित कीं, जिनमें भारत के सभी भाषायी क्षेत्रों के उपलब्ध प्रतिष्ठित विद्वान तथा भाषाविद सम्मिलित किए गए। देश के प्रबुद्ध वर्ग में शब्दावली-निर्माण के प्रति चेतना जाग्रत करने के उद्देश्य से उक्त विशेषज्ञ सलाहकार समितियों की बैठकें और संगोष्ठियों देश के विभिन्न भागों में आयोजित की गई। आयोग ने पारिभाषिक शब्दावली के भाषावैज्ञानिक पक्ष पर विचार करने के लिए अलग से एक संगोष्ठी आयोजित की, जिसमें देश के सभी भाषायी क्षेत्रों के प्रमुख भाषाविदों ने भाग लिया। उन्होंने सभी भारतीय भाषाओं के लिए यथासंभव समान शब्दावली का निर्माण करने में उपस्थित होने वाली रूपात्मक, ध्वन्यात्मक और अर्थ संबंधी समस्याओं पर विचार करके अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कीं।
अतः आयोग का प्रमुख कार्य ऐसी वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली का विकास करना था, जो थोड़े-बहुत संशोधन के साथ सभी भारतीय भाषाओं द्वारा प्रयोग में लाई जा सके। इसे पूरा करने के लिए आयोग को देश में उपलब्ध शब्दावलियों का संग्रह करने, उनमें समन्वय स्थापित करने, शब्दावली-निर्माण के सिद्धांत निश्चित करने और अनुमोदित शब्द-सूचियाँ प्रकाशित करने का दायित्व सौंपा गया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय स्तर की संदर्भ-ग्रंथों और पुस्तकों की रचना एवं प्रकाशन का महत्वपूर्ण काम भी आयोग के कार्यक्षेत्र में रखा गया। इस प्रकार, हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के माध्यम से विज्ञान एवं तकनीकी विषयों के वैचारिक आदान-प्रदान और अध्ययन-अध्यापन को सुगम बनाने के लिए समी संभव साधन जुटाना आयोग का दायित्व है।
(ग) तुलसीदास भक्तिकाल की सगुण काव्यधारा के राम-भक्त कवि हैं। उनका जन्म संवत् 1589 (1532 ई.) में उत्तर प्रदेश के सोरों नामक स्थान में हुआ। कहा जाता है कि उनका प्रारंभिक जीवन बड़ी कठिनाइयों में बीता। वे, बावा नरहरिदास के शिष्य थे और उन्हीं से राम कथा में दीक्षित हुए।
तुलसीदास के लिखे हुए छोटे-बड़े बारह ग्रंथों का उल्लेख आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने किया है। इनमें प्रमुख हैं दोहावली, कवितावली, गीतावली, रामचरितमानस और विनय पत्रिका। समी रचनाओं में भावों की विविधता तुलसी की सबसे बड़ी विशेषता है। उन्होंने रामकथा के विविध प्रसंगों के माध्यम से पारिवारिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन के आदर्शों को लोगों के सामने रखा। तुलसी की भक्ति भावना, सीधी, सरल और साध्य है। राम उनके आदर्श हैं और मर्यादा पुरुष है। रामचरितमानस में तुलसी ने राम और शिव, दोनों को एक-दूसरे का भक्त दिखाकर वैष्णवों और शैवों में समन्वय करने का प्रयास किया। राम
कथा को लेकर संस्कृत और हिंदी में अनेक रचनाएँ हैं, परंतु भरत का जो रूप तुलसी ने दिखाया है, वह रघुवंश या वाल्मीकि रामायण में भी नहीं है।
भावों की विविधता के साथ-साथ तुलसी की शैली में विविधता भी है। सूरदास की पद-शैली, चारणों की छप्पय, कवित्त, सवैया पद्धति, दोहा, नीति-काव्यों की भक्ति पद्धति और प्रेमाख्यानों की दोहा-चौपाई पद्धति आदि का सफल प्रयोग तुलसी ने अपनी रचनाओं में किया है। तुलसी ने अपने समय की दोनों साहित्यिक भाषाओं अवधी और ब्रज का प्रयोग किया। मानस के अतिरिक्त अधिकांश रचनाओं की भाषा ब्रज है, जिस पर तुलसी का अद्भुत अधिकार है।
(घ) हम पहनने ओढ़ने और सुख-सुविधाओं में कितने भी आधुनिक हो जाएँ पर स्त्रियों के प्रति सोच न जाने कब आधुनिक होगी। आज मी स्त्री भले ही कितनी विदुषी और कुशल हो जाए पर उसका परिचय ऐसा लगता है कि देह के आगे सारी खूबियों बौनी हो जाती है। शरीर आकर्षक न हो तो अंदर की खूबियों का महत्व न के बराबर होता है। यदि कोई हुनर प्रकाश में आ भी जाता है तो काफी मशक्कत के बाद।
में लखनऊ शहर के गांधी भवन में एक पुस्तक के लोकार्पण के सिलसिले में गई हुई थी। वहीं पर मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, अध्यक्ष और मुख्य वक्त्ता के रूप में अनेक विद्वान मंच पर आसीन थे तथा दर्शक दीर्घा में अनेक साहित्यकार और साहित्य-प्रेमियों का जमावड़ा था। समय था मंच पर बैठे हुए लोगों का परिचय करवाने का। एक विद्वान टाइप के शख्स दर्शक दीर्घा की आरक्षित पंक्ति से उठे और माइक पर सबका परिचय देने लगे। उन्होंने एक शायरी सुनाकर और करतल ध्वनि प्राप्त करके अपना काम (परिचय करवाने का) शुरू कर दिया। ये हैं हिंदी संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि, ये हैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी के विभागाध्यक्ष, ये हैं साहित्य प्रेमी तथा अनेक पुस्तकों के रचयिता जो कि इस समय प्रशासनिक सेवा में...।
अब बारी थी एक महिला के परिचय करवाने की, जो वर्मा से लखनऊ पद्मारी थीं। इनके परिचय में माइक संभाले माननीय ने एक शायरी पढ़ी जोकि मुझे जस की तस याद तो नहीं पर उसका अर्थ कुछ यूँ था. पूरे शहर में कई चेहरों को देखा पर आपके गुलाब जैसा चेहरा कहीं नहीं पाया। मैंने सोचा ये शख्स आगे भी कुछ परिचय देंगे पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। उनकी इस शायरी पर खूब तालियों मिलीं। इसके बाद वे आगे बैठे किसी पुरुष विद्वान का विद्वता से भरा परिचय देने में लग गए। मैं यह जानने को उत्सुक थी कि मंच पर आसीन इस महिला का देह की सुंदरता के अलावा भी कुछ परिचय होगा, पर कोई जानकारी नहीं मिल पाई।
(ङ) आज का जीवन बहुत भाग-दौड़ वाला है। लोगों के पास समय की कमी है। ज़माना इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है कि यदि व्यक्ति उसके साथ कदम से कदम मिलाकर न चले, तो वह पिछड़ जाएगा। यही कारण है कि व्यक्ति कम-से-कम समय में अधिक-से-अधिक बातें जान लेना चाहता है। कार्यालय में अधिकारियों के पास इतना समय नहीं होता कि वे फाइलों और पत्रों को पूरी तरह से पढ़ें। वे कम-से-कम समय में अधिक-से-अधिक फाइलों और पत्रों को निपटा देना चाहते हैं। विशेष रूप से वह अधिकारी जिसने हाल ही में कार्यभार सँभाला है। उस व्यक्ति के पास इतना समय नहीं होता कि वह सभी फाइलें विस्तार से पढ़े, अतः वह अधीनस्थ अधिकारी / कर्मचारी को संबंधित फाइल की सामग्री का सार प्रस्तुत करने का आदेश दे देता है। इस तरह की स्थितियों में सार बहुत मददगार सिद्ध होता है। सार को पढ़कर अधिकारी तुरत-फुरत ढेर सारी फाइलें निपटा देता है। सार को पढ़कर व्यक्ति अपनी रुचि का समाचार, लेख या कहानी चुन लेता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि 'सार' पूरी सामग्री के आधार पर तैयार किया गया वह
मसौदा है, जो संक्षिप्त होते हुए भी सामग्री की सभी मुख्य बातों को अपने में समेटे होता है और जिसके आधार पर पूरी सामग्री को समझा जा सकता है।
यहाँ आपके मन में प्रश्न उठ सकता है कि जब सार संक्षेपण का इतना महत्व है और सारे काम सार के आधार पर ही चल सकते हैं, तो फिर मूल सामग्री की क्या आवश्यकता और महत्ता रहती है अर्थात फिर मूल विस्तृत सामग्री क्यों पढ़ी जाती है? इससे भी और आगे बढ़कर सब लोग सार ही क्यों नहीं लिखते अपनी बातें विस्तार से क्यों लिखते हैं? आपका ऐसा सोचना सही है, परंतु मूल सामग्री का अपना अलग महत्व होता है, जिसे किसी भी प्रकार से छोड़ा नहीं जा सकता।
(च) हमारी कल्पना पंख पसारती है और हमारे मन में जिन नए-नए भावों का संचार होता है उन्हें हम लिपिबद्ध करना चाहते हैं। अगर हमें शुद्ध लिखना आता ही नहीं तो हम अपने आपको अभिव्यक्त कैसे कर पाएँगे। इसके लिए हमें भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण और उसके बाद शब्द से परिचित होना होगा। अगर हम सही शब्दों का चयन नहीं कर पाते तो लिखते समय वर्तनी के गलत होने से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। जैसे आपने कई लोगों को यह कहते सुना होगा कि 'आपने अस्नान किए कि नहीं। यही बात यह लेखन में कर जाते हैं जोकि गलत है। कारण, 'अस्नान की जगह उन्हें 'स्नान' शब्द लिखना चाहिए था। कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ 'स्थायी' को 'अस्थायी की तरह उच्चारित किया जाता है, जबकि ऐसा लिखते समय अशुद्धि हो जाती है। इसी प्रकार का एक उदाहरण देखें माँ का दूध बच्चे के लिए पूर्ण अहार होता है। इस वाक्य में 'अहार' के स्थान पर 'आहार' लिखा जाएगा। कुछ लोगों की 'व' और 'ब' संबंधी अशुद्धियों भी लेखन में हो जाती हैं। 'वर्षा' को 'बर्षा' और वनस्पति' को 'बनस्पति' लिख जाते हैं। इसके अलावा 'श' 'ष', 'स' की अशुद्धि तो अधिकतर लागों से हो ही जाती है। वे 'शासन' को 'सासन', 'नमस्कार' को 'नमश्कार' और कष्ट को 'कस्ट' लिख जाते हैं। 'ट' और 'ठ' के लेखन में भी खूब अशुद्धियों होती हैं। विशिष्ट के स्थान पर 'विशिष्ठ' और 'संतुष्ट' की जगह 'संतुष्ठ' लिखते हुए आपने कई लोगों को देखा होगा, जो कि गलत है। इसी तरह हमें 'क्ष' और 'छ' लिखते समय भी अशुद्धियों से बचना होगा। लोग 'क्षमा' के स्थान पर 'छमा' या 'छिमा लिख देते हैं। और 'कक्षा' की जगह 'कच्छा' जबकि 'कच्छा' भिन्न अर्थ रखता है। इस तरह की अशुद्धियों बड़ी अशुद्धियों की श्रेणी में गिनी जाती हैं।
(छ) विषय: स्वायत्त संगठनों, सांविधिक नियमों एवं सरकारी उद्यमों के कर्मचारियों के लिए हिंदी प्रशिक्षण की व्यवस्था एवं पाठ्य-पुस्तकों की उपलब्धता के बारे में।
मुझे इस विभाग के कार्यालय ज्ञापन सं. ई-12047/49/73-हिंदी दिनांक 17.9.1984 की ओर सभी मंत्रालयों/ विभागों का ध्यान आकर्षित करने का निदेश हुआ है। इस कार्यालय ज्ञापन में बताया गया है कि सभी स्वायत्त संगठनों, सांविधिक निकायों एवं सरकारी उद्यमों के हिंदीतर भाषी कर्मचारियों को हिंदी में काम करने के लिए हिंदी प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए। उनके लिए हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम सरकारी कर्मचारियों की तरह चलाए जाने की अथवा हिंदी शिक्षण योजना के अधीन प्रशिक्षण केंद्र खोलने की व्यवस्था की गई है। समय-समय पर इस विभाग के ध्यान में यह लाया गया है कि संगठनों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पातीं, जिसके कारण उन्हें प्रशिक्षण प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इस समस्या पर इस विभाग में विचार किया गया है। यह निर्णय लिया गया है कि प्रयोग के तौर पर सरकारी उद्यमों / स्वायत्त संगठनों तथा सांविधिक निकायों को फिलहाल तीन वर्ष के लिए अपने कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए पाठ्य-पुस्तकें स्वयं मुद्रित कराने की अनुमति दे दी जाए, ताकि उन्हें पुस्तकें प्राप्त करने में कोई कठिनाई न हो। वे कृपया मुद्रण के पश्चात निम्नलिखित जानकारी इस विभाग को उपलब्ध कराएँ :
(क) हर पाठ्यक्रम की कितनी पुस्तकें मुद्रित हुई हैं?
(ख) मुद्रित पुस्तकें कितनी-कितनी और किन-किन कार्यालयों में वितरित की गई हैं?
(ग) पुस्तक के भीतरी पृष्ठ पर 'प्रबंधक, भारत सरकार मुद्रणालय, फरीदाबाद द्वारा मुद्रित, तथा नियंत्रक, प्रकाशन विभाग, दिल्ली द्वारा प्रकाशित' के स्थान पर चेयरमैन / मैनेजिंग डाइरेक्टर (उपक्रम / संस्थान का नाम) द्वारा अपने कर्मचारियों के हिंदी प्रशिक्षण के लिए मुद्रित' लिखा जाए।
क.ख.ग.
संयुक्त सचिव (राजभाषा)
गृह मंत्रालय, भारत सरकार
Looking for IGNOU MTT 45 Solved Assignment 2025. You are on the Right Website. We provide Help book of Solved Assignment of DPE MTT 45 - शीर्षक: हिंदी सिंधी के विविध क्षेत्रों में अनुवादof year 2025 of very low price.
If you want this Help Book of IGNOU MTT 45 2025 Simply Call Us @ 9199852182 / 9852900088 or you can whatsApp Us @ 9199852182
IGNOU DPE Assignments Jan - July 2025 - IGNOU University has uploaded its current session Assignment of the DPE Programme for the session year 2025. Students of the DPE Programme can now download Assignment questions from this page. Candidates have to compulsory download those assignments to get a permit of attending the Term End Exam of the IGNOU DPE Programme.
Download a PDF soft copy of IGNOU MTT 45 शीर्षक: हिंदी सिंधी के विविध क्षेत्रों में अनुवाद DPE Latest Solved Assignment for Session January 2025 - December 2025 in English Language.
If you are searching out Ignou DPE MTT 45 solved assignment? So this platform is the high-quality platform for Ignou DPE MTT 45 solved assignment. Solved Assignment Soft Copy & Hard Copy. We will try to solve all the problems related to your Assignment. All the questions were answered as per the guidelines. The goal of IGNOU Solution is democratizing higher education by taking education to the doorsteps of the learners and providing access to high quality material. Get the solved assignment for MTT 45 शीर्षक: हिंदी सिंधी के विविध क्षेत्रों में अनुवाद course offered by IGNOU for the year 2025.Are you a student of high IGNOU looking for high quality and accurate IGNOU MTT 45 Solved Assignment 2025 English Medium?
Students who are searching for IGNOU Diploma in Primary Education (DPE) Solved Assignments 2025 at low cost. We provide all Solved Assignments, Project reports for Masters & Bachelor students for IGNOU. Get better grades with our assignments! ensuring that our IGNOU Diploma in Primary Education Solved Assignment meet the highest standards of quality and accuracy.Here you will find some assignment solutions for IGNOU DPE Courses that you can download and look at. All assignments provided here have been solved.IGNOU MTT 45 SOLVED ASSIGNMENT 2025. Title Name MTT 45 English Solved Assignment 2025. Service Type Solved Assignment (Soft copy/PDF).
Are you an IGNOU student who wants to download IGNOU Solved Assignment 2024? IGNOU PG DIPLOMA PROGRAMMES Solved Assignment 2023-24 Session. IGNOU Solved Assignment and In this post, we will provide you with all solved assignments.
If you’ve arrived at this page, you’re looking for a free PDF download of the IGNOU DPE Solved Assignment 2025. DPE is for Diploma in Primary Education.
IGNOU solved assignments are a set of questions or tasks that students must complete and submit to their respective study centers. The solved assignments are provided by IGNOU Academy and must be completed by the students themselves.
| Course Name | Diploma in Primary Education |
| Course Code | DPE |
| Programm | PG DIPLOMA PROGRAMMES Courses |
| Language | English |
| IGNOU MTT 45 Solved Assignment | ignou assignment 2025, 2025 MTT 45 | ||
| IGNOU MTT 45 Assignment | ignou solved assignment MTT 45 | ||
| MTT 45 Assignment 2025 | solved assignment MTT 45 | ||
| MTT 45 Assignment 2025 | assignment of ignou MTT 45 | ||
| Download IGNOU MTT 45 Solved Assignment 2025 |
| ||
| Ignou result MTT 45 | Ignou Assignment Solution MTT 45 |
Click to Contact Us
Call - 9199852182 Call - 9852900088 myabhasolutions@gmail.com WhatsApp - 9852900088